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मुझे याद आती हैं वो,,
बहुत याद आती है वो
बहारों की मलिका है परियो की रानी
मैं उसका दीवाना हूं वो मेरी दीवानी
ऐसे खुद ही हमें बतलाती हैं वो
बहुत याद आती है वो
मुझे याद आती हैं वो
मखमल सी बदन है कोमल सी बाहें
भला क्यों ना देखे उसे एक निगाहें
क्रीम से नहाती या कमल संपू का है
शायद दूध से नहाती है वो
बहुत याद आती हैं वो
मुझे याद आती हैं वो
नागिन सी बाले पेशानी तलक है
बचपन की दोस्ती जवानी तलक है
उस पर मैं सबकुछ न्योछावर कर दूं
इसलिए ही इतना सताती है वो
बहुत याद आती हैं वो
मुझे याद आती हैं वो
वो मेरी सुबह और मै शाम हूं
वो मेरी.....और मै कलाम हूं
खुदा ने ही जोड़ी बनाई हमारी
सपनो में हरपल आती हैं वो
बहुत याद आती हैं वो
मुझे याद आती हैं वो
जब मेरी याद उसको आती होगी
वो अपने ही दिल को हंसती होगी
मालूम चलता है मुझे हिचकियों से
मेरे नाम की गीत जरूर गाती होगी
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- अब्दुल (दीवाने कलाम)