Best online shopping- www.bulava.in
वर्षा की नन्हीं बूंदों ने ,फिर बचपन की याद दिलाई है
बन्द पड़े दिल के आंगन में ,फिर हरियाली छाई है
सुनकर गीत मधुर बारिश का, मन मयूर उत्साहित है
जर्जर तन फिर बालक हो जाने को प्रोत्साहित है
मन करता है आज पुनः, कागज की नाव चलाऊं
फुदक फुदक कर फिर से भागूं ,लोट पोट हो जाऊं
त्याग करूं निज लज्जा का, फिर मस्त मगन हो जाऊं
वर्षा के झोकों सा नाचूं फिर ,बूंदों सा खो जाऊं
पड़े बूंद तन पर वर्षा की, खिल पुष्प कमल हो जाऊं
लोभ मोह सब त्यागूं , सम नीर विमल हो जाऊं।
कलुषित हुए विचारों की , फिर से हुई धुलाई है
वर्षा की नन्हीं बूंदों ने, फिर बचपन की याद दिलाई है।
Shop now
मनोज कुमार यादव